प्राक्कथन

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अध्याय १ -- समस्या का प्रस्तुतीकरण

1 वैदिक अश्व की अलौकिकता 2 वैदिक अश्व के लोकोत्तर कार्य 3 अश्व की आध्यात्मिकता 4 अश्व और संवनन 5 अश्व का देववेदत्व 1-9

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द्वितीय अध्याय -- वृषा अश्व

1 पर्जन्य 2 वशा और पर्जन्य 3 वृषा अश्व अथवा पर्जन्य की आध्यात्मिकता 4 अश्व और अश्विनौ 5 अश्विनौ के अश्व की अनेकरूपता 6 प्राण और अश्व 10-21

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तृतीय अध्याय -- अश्व और रथ

1 प्रातः 2 चतुर्युग रथ 3 त्रिकश रथ 4 मधुकशा 5 सप्तरश्मि रथ 6 दशारित्र रथ 7 स्वर्षा रथ 8 सस्नि रथ। 9 रथ 10 अहंपूर्व रथ 11 इष्टयः 12 मतयः 13 आदर्श मनुष्य रथ 14 अश्वों की ज्योतिर्मयता का स्रोत . 22-38

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चतुर्थ अध्याय -- दीर्घतमस् का अश्व

1 स्वः रूप अश्व । 2 विष्णु रूप अश्व 3 अश्व की त्रिविधता 4 ऋग्वेद 1.163 का अश्व अर्वा' 5 देवजात सप्ति के रूप में वाजी 6 वाजी अर्वा : 39-53

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पंचम अध्याय -- दधिक्रा प्रथमो वाजी और ब्रध्न

1 मेध्य क्यों ? 2 दधीचि अथवा दध्यङ का आख्यान 3 अथर्वा, आपः और अश्व 4 अश्वमेधात्पुरुषमेधः 54-64

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षष्ठ अध्याय -- अश्वमेध यज्ञ

1 यजमानो वा अश्वमेधः 2 राष्ट्रं वै अश्वमेधः 3 कर्मकाण्ड का अश्वमेध 4 अश्वमेध सोमयाग 5 अश्वमेध का रहस्य 6 अश्ववेद में अश्लीलता की कल्पना 7 सारांश 65-84

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सप्तम अध्याय -- उच्चैःश्रवा तथा औच्चैःश्रवा

1 श्रवस् । 2 उच्चैःश्रवा और औच्चैःश्रवा 3 पुराणों का उच्चैःश्रवा और हय 4 हय । 5 वाजी और गन्धर्व 6 ऊर्ध्व गन्धर्व । ---- 7 साधु और असाधु गन्धर्वाप्सरस 8 अप्सराओं की द्विविध साधुता 9 गन्धर्वाप्सरस के भेद 10 गन्धर्वाप्सरसः राष्ट्रभृतः 11 मनु, वायु और गन्धर्व 12 अश्व और गन्धर्व 85--104

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अष्टम अध्याय -- वाजी

1 वाज 2 ऋभु, विभ्वा और वाज। 3 वाज और वाजी, 4 वाजिनी और वाजिनीवती । 5 वाजिनीवसू 6 वाज तथा वाजी ज्ञानाग्नि 7 वाजी इन्द्र 8 वाजी सोम 9 वाजी और रोहित । 105-127

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नवम अध्याय -- अश्व के पर्याय

1 अश्व के पर्यायों का एकत्व और बहुत्व 2 हंसासः और हंस 3 हंसासः, पतंगाः और श्येनासः 4 सुपर्णाः तथा अश्वाः * 5 तार्क्ष्य और अश्व 6 नरः अश्बाः । 7 अव्यथयः अश्वाः 8 ह्वार्याणाम् 9 पेद्व अश्व 10 एतशः 11 एतग्वः 12 मांश्चत्व और ब्रध्न 13 ब्रध्न 14 अश्व नाम वह्नि 15 अरुष 16 दौर्गह । 17 आशु, सप्ति तथा अत्य 136--155

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दशम अध्याय -- उपसंहार

Conclusion. अब तक अश्व के विषय में नव अध्यायों में जो विवेचन हुआ है, उसका सिंहावलोकन करना तथा अन्तिम निष्कर्ष प्रस्तुत करना इस अध्याय का लक्ष्य है।

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